भारत का सांस्कृतिक परिचय
हिमालय पर्वत के दक्षिण में तथा हिंद महासागर के उत्तर में स्थित विशाल प्रायद्वीप को भारत कहा जाता है। यूनानी यों ने इस देश को इंडिया तथा मध्यकालीन लेखकों ने हिंद अथवा हिंदुस्तान के नाम से संबोधित किया है भारतवर्ष को जंबू दीप भारतखंड आर्यवर्त हिंदुस्तान तथा हिंद आदि नामों से जाना जाता है।प्रकृति ने भारत को एक विशिष्ट भौगोलिक इकाई प्रदान की है उत्तर में हिमालय पर्वत एक ऊंची दीवार के समान इसकी रक्षा करता है तथा हिंद महासागर इस देश के पूर्व पश्चिम तथा दक्षिण से घेरे हुए हैं। इन प्राकृतिक सीमाओं द्वारा बाह्य आक्रमण से अधिकांशत सुरक्षित रखने के कारण भारत देश अपनी एक सर्वथा स्वतंत्र तथा पृथक सभ्यता का निर्माण कर सका है विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के कारण यहां प्राकृतिक एवं सामाजिक स्तर की विभिन्नता दृष्टिगोचर होती हैं भारत का प्रत्येक भौगोलिक क्षेत्र एक इकाई है जिसमें भिन्न-भिन्न जाति धर्म भाषा तथा वेशभूषा और आचार विचार के लोग निवास करते हैं कई विभिन्न नेताओं के बीच भारत में सदियों से अंतरित एकता बनी हुई है फल स्वरुप अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता बन गई है देश की विशिष्ट प्राकृतिक सीमाओं ने यहां के निवासियों के मानस में मातृभूमि के प्रति स्नेह सम्मान श्रद्धा और समर्पण की भावना जागृत की है मौलिक एकता विचार का यहां सदैव बना रहा तथा उसने सदियों तक अपनी विशिष्टता बनाए रखी है प्राचीन कवियों लेखकों तथा विचारकों के मानस में एकता की यह भावना सदियों पूर्व से ही विद्यमान रही है |कौटिल्य के अर्थशास्त्र में कहा है की हिमालय से लेकर समुद्र तक हजारों योजन विस्तार वाला भाग चक्रवर्ती राजा का शासन क्षेत्र होता है|भारतीयों की प्राचीन धार्मिक भावनाओं एवं विश्वासों से भी इस साल भूत एकता का परिचय मिलता है।
नदियों गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, कावेरी तथा मोक्ष दायिनी नजरियों अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अंवंतिपुरी तथा द्वारिकापुरी देश के विभिन्न भागों में बसी हुई होने पर भी देश के सभी निवासियों के लिए समान रूप से श्रद्धा हैं वेद पुराण उपनिषद रामायण महाभारत आदि ग्रंथों का सर्वोत्तम समान है तथा शिव और विष्णु आदि देवता सर्वत्र पूजे जाते हैं यद्यपि यहां अनेक भाषाएं हैं तथापि वे सभी संस्कृत से ही अद्भुत से ही तथा प्रभावित हैं धर्म शास्त्रों द्वारा प्रतिपादित सामाजिक व्यवस्था भी सर्वत्र एक ही समान है। वर्णाश्रम पुरुषार्थ तथा 16 संस्कार आदि सभी समान रूप से सब के आदर्श रहे हैं प्राचीन काल में जबकि आवागमन के साधनों का अभाव था। पर्यटक धर्म उपदेशक तीर्थ यात्री विद्यार्थी इस एकता को स्थापित करने में सहयोग प्रदान करते रहे हैं राज सुई और अश्वमेध जैसे यज्ञों के अनुष्ठान द्वारा चक्रवर्ती पद के आकांक्षी सम्राटों ने सदैव इस भावना को व्यक्त किया है कि भारत का विशाल भूखंड एक है।
भारतीय संस्कृति प्राचीन काल से ही वसुधैव कुटुंबकम और असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्मय की मूल अवधारणा पर आधारित है अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और मानवीय मूल्यों के आधार पर भारतीय संस्कृति आज भी सबका साथ सबका विकास जैसे आदर्शों को आगे बढ़ा रही है।
भारत में कुल 28 राज्य सात संघ शासित प्रदेश हैं भारत की राजधानी नई दिल्ली है भारत के संविधान ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया है भारत की संस्कृति कई चीजों को सम्मिलित कर बनी है जिसमें भारत का गौरवशाली इतिहास विलक्षण भूगोल तथा सिंधु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग मैं विकसित हुई भारतीय सभ्यता की प्राचीन विरासते शामिल है|
भारत में कुल 28 राज्य सात संघ शासित प्रदेश हैं भारत की राजधानी नई दिल्ली है भारत के संविधान ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया है भारत की संस्कृति कई चीजों को सम्मिलित कर बनी है जिसमें भारत का गौरवशाली इतिहास विलक्षण भूगोल तथा सिंधु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग मैं विकसित हुई भारतीय सभ्यता की प्राचीन विरासते शामिल है|
भारत कई धर्म प्रणालियों जैसे हिंदू धर्म जैन धर्म बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक स्थल है भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं प्राचीन निरंतरता लचीलापन ग्रहण शीलता आध्यात्मिकता एवं भौतिकता का समन्वय तथा अनेकता में एकता आधी है भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। कि हजारों वर्षों के बाद भी या संस्कृति आज भी अपने मूल स्वरूप में जीवित है भारत के नदियों व्हाट पीपल जैसे बिच्छू सूर्य तथा अन्य प्राकृतिक विद देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना का क्रम शताब्दियों से चला आ रहा है। देवताओं की मान्यता हवन और पूजा पाठ की पद्धतियों की निरंतरता भी आज तक प्रभावित रही है।
वेदों और वैदिक धर्म में करोड़ों भारतीयों की आस्था और विश्वास आज भी उतना ही है जितना हजारों वर्ष पूर्व था गीता और उपनिषदों के संदेश हजारों सालों से हमारी प्रेरणा और कर्म का आधार रहे हैं। भारतीय संस्कृति के इस लचीले स्वरूप में जब भी जड़ता की स्थिति निर्मित हुई तब किसी ना किसी महापुरुष ने इसे गतिशीलता प्रदान कर इसकी सहिष्णुता को एक नई आभा से मंडित कर दिया इस दृष्टि से प्राचीन काल में बुद्ध और महावीर के द्वारा तथा मध्यकाल में शंकराचार्य और कबीर गुरु नानक और चैतन्य महाप्रभु के द्वारा एवं आधुनिक काल में महात्मा गांधी ज्योतिबा फूले पंडित दीनदयाल उपाध्याय के द्वारा किए गए प्रयास इस संस्कृत के महत्वपूर्ण धरोहर बन गए।
भारतीय संस्कृति में आश्रम व्यवस्था के साथ धर्म अर्थ काम और मोक्ष जैसे चार पुरुषार्थ का विशिष्ट स्थान रहा है वस्तुतः इन पुरुषार्थ ने ही भारतीय संस्कृत में भौतिकता और आध्यात्मिकता का एक अद्भुत समन्वय स्थापित कर दिया हमारी संस्कृति मैं जीवन के लौकिक और पर आलौकिक दोनों पहलुओं को धर्म से संबद्ध किया गया है।
उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक संपूर्ण भारत में समान रूप से जन्म विवाह और मृत्यु आदि से संबंधित विभिन्न संस्कार प्रचलित है विभिन्न रीति रिवाज आचार व्यवहार और तीज त्योहार में बी समानता है संगीत के सात स्वर और नृत्य संपूर्ण भारत में समान रूप से प्रचलित है भारत अनेक धर्मों संप्रदायों मतों और पृथक आस्थाओं एवं विश्वासों का देश है। कई सारे ऐतिहासिक युग आए और गए लेकिन कोई भी इतना प्रभावशाली नहीं हुआ वह हमारी वास्तविकसंस्कृति को बदल सके संस्कारों की नवी रज्जू के द्वारा पुरानी पीढ़ी की संस्कृति हमेशा नई पीढ़ी को अच्छा व्यवहार करना बड़ों की इज्जत करना मजबूर और गरीब तथा जरूरतमंद लोगों की मदद करना सिखाती है। हमारी धार्मिक संस्कृति है कि हम व्रत रखें पूजा करें गंगा जल अर्पण करें सूर्य नमस्कार करें परिवार के बड़ों सदस्यों का चरण स्पर्श करें प्रतिदिन ध्यान और योग करें तथा भूखे और अक्षम लोगों को अन्य जल दें यह हमारे देश की महान संस्कृति है कि हम बहुत खुशी के साथ अपने घर आए मेहमान की सेवा करते हैं क्योंकि मेहमान भगवान का रूप होता है भारत में" अतिथि देवो भव:' का कथन बेहद प्रसिद्ध है हमारी संस्कृति की मूल उद्देश्य आध्यात्मिक उन्नति तथा मानवता की स्थापना है।
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा।।
यूनान मिस्र रोमा, सब मिट गए जहां से।
अब तक मगर है बाकी नामो निशा हमारा।।
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