मातृभूमि भारत (motherland of India) - knowledge

Entertainment & knowledge https://knowledge9911.blogspot.com I have a knowledgeable contents.

Translate

बुधवार, 20 मई 2020

मातृभूमि भारत (motherland of India)

               Motherland of India

पूरी दुनिया में केवल भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां भूमि को माता का गौरव प्राप्त है विश्व के किसी भी देश को अमेरिका मां या इंग्लैंड मां या पाकिस्तान मां के नाम से नहीं पुकारा जाता है। केवल अपना ही देश ऐसा है जहां भारत माता की वंदना, पूजा, अर्चना की जाती है हमारे देश में अनेक स्थानों पर स्थानों पर भारत माता के मंदिर बने हुए हैं जहां देवीHu देवताओं की भांति भारत माता के नित्य पूजा अर्चना की जाती है। हरिद्वार में स्वामी सत्यमित्रानन्द जी ने विशाल सात मंजिला भारत माता मंदिर का निर्माण कर संपूर्ण भारत का लघु दर्शन कराया है|


5000 साल पहले महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में लिखा है-
"
यहीं से जन्म भूमि आराध्य बन जाती है, हमारी मातृभूमि भारत पुण्य भूमि है। पुण्य भूमि भारत पर स्थित पंच सरोवर पवित्र नदियां चारों दिशाओं में स्थित चार धाम बद्रीनाथ, रामेश्वरम, द्वारिकापुरी, जगन्नाथ पुरी इसकी एकात्माता को शुद्ध करने के लिए स्वयं भगवान ने यहां अनेक बार अवतार लिए हैं विराम ऋषि मुनियों एवं तपस्वी की इस भूमि का कण कण पावन बन गया है इसी प्रकार इसी धारक पर मोक्ष दायिनी सत्य पूरियां- अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, अवंतिका, कांचीपुरम, द्वारिकापुरी भी स्थित है।
स्वामी विवेकानंद के शब्दों में-भारत भूमि पवित्र भूमि है भारत मेरा तीर्थ है भारत मेरा सर्वोच्च है सर्वस्व है भारत की पुण्य भूमि का अतीत गौरव में है यही वह भारतवर्ष है जहां मानव प्रकृति वाह अंतर जगत के रहस्य की जिज्ञासाओं के अंकुर करते थे। हमने मातृभूमि को एक जमीन का टुकड़ा मात्र नहीं मान माना की जो केवल भोग के लिए है। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धा अटल बिहारी वाजपेई ने भारतवर्ष की व्याख्या निम्न शब्दों में की-
                भारत एक जमीन का टुकड़ा नहीं।
जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।
             हिमालय मस्तक है, कश्मीर की रीट है,
पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं।
            पूर्वी और पश्चिमी भाग 2 विशाल जांघ है।
कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पकड़ते हैं।
यह चंदन की भूमि है, अभिनंदन की भूमि।
यह तर्पण की भूमि है यह अर्पण की भूमि है।
इसका कंकर कंकर शंकर है।
इसका बूंद बूंद गंगाजल है।
हम जिएंगे तो इसके लिए और मरेंगे तो इसके लिए
और गंगाजल में बहती हमारी अस्थियों को कोई
कान लगाकर सुनेगा तो एक ही आवाज आएगी
भारत माता की जय, भारत माता की ज

वेदों में कहा गया है भूमि मेरी माता है और मैं उसका पुत्र हूं जिस प्रकार माता संतान का लालन पालन करती है और हर मौसम में उसके लिए वस्त्र आदि की व्यवस्था करती है उसी प्रकार सस्य श्यामला सुजला सुफला या धरती मां मौसम अनुसार साग भाजी फल धान आदि उपलब्ध कराती है तो विराम भारतीय उपमहाद्वीप ही ऐसा क्षेत्र है जहां मौसमी ऋतु का चक्र अनवरत चलता रहता है प्रकृति का संपूर्ण सौंदर्य हां है परंतु आवश्यकता है प्राकृतिक संसाधनों में उचित उपयोग की ना क शोषण की। पश्चिम के विद्वानों तथा उनके पीछे लग्गू तथाकथित बुद्धिजीवियों ने तो भारत को सपेरों का गोचरो का देश कहा है । यहां के निवासियों को प्रकृति पूजक पेड़ों की पूजा करने वाली ले कहां। उन्होंने अपनी अंग्रेजी जुबान में भारत को यहां की संस्कृति को नीचा दिखाने की उच्छिष्टा की परंतु सत्य यह है कि हिंदू संस्कृति के की मान्यताएं का कारण ही बहुत सारी दुर्लभ वनस्पतियां नष्ट होने से बच गई हैं हमारे यहां तुलसी पीपल बड़ आंख बेल आंवला आदि की पूजा की जाती है इसका दूसरा पक्ष है है की जीवनदायिनी पौधे है, जहां पश्चिम का दर्शन उपभोग का दर्शन है वहीं भारतीय दर्शन उपयोग का दर्शन है।


 हमने संपूर्ण जगत के कल्याण की बात की है प्रोग्राम त्याग की भावना के साथ वसुधैव कुटुंबकम हमने केवल कहा ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को एक परिवार माना है। हमने केवल अपने कल्याण की कामना नहीं कि ना केवल अपने सुख की चाहत रखी हमारे पूर्वजों ने तो हजारों सालों से सार्वभौमिक मंगल कामना के सूक्त सर्वे भवंतू सुखिनाह सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत् को अपने जीवन में अंगीकृत आत्मसात किया है हमने ना कभी कहा, ना की कभी चाहा कि हम भवंतु सुखिन या तुम भाव निरामया हमें सरवन के स्थान पर सर्वे भवंतु सुखना कहा हमने सदा सभी को मंगल की कामना परम पिता परमेश्वर से की है। भारतीय दर्शन में कहीं नहीं कहा गया कि ईश्वर पर केवल हमारा अधिकार है। ऋग्वेद के सूक्त अनुसार संगच्छध्वम संवद्धवम सं वो मनासि जानताम।
भारतीय संस्कृति का दर्शन ही अनेकता में एकता का है अलग-अलग भाषा अलग-अलग देश फिर भी अपना एक देश। स्वच्छ सुहावना सुंदर अपना भारत लगे एक प्रदेश तथा पंत विविध चिंतन नामा विद बहुविदा स्वदेश की जसे गीत पर इस देश की तरुणाई मस्ती में झूमती गाती है चेन्नई हो या अमृतसर अपना देश अपना घर दिल्ली हो या गुवाहाटी अपना देश अपनी माटी।
ऐसे नारे आज का नौजवान विद्यार्थी लगाता है इन नारों से देश की युवा शक्ति चरितार्थ किए हैं व्यवहार खान-पान वेशभूषा से पूरा भारत एक है 4 ग्राम छोले भटूरे पर अमृतसर या पंजाब का एकाधिकार नहीं है जैसे हम स्वदेश में मिलजुल कर भाई भाई की तरह रहते हैं वैसा ही हमने विदेशियों का स्वागत विद स्वदेश में किया है। दुनिया की सभी संस्कृतियों का मुक्त हृदय से हमने स्वागत सम्मान किया है। अनेक मतों और पंथ को मानने वाले लोग भारत में आते रहते हैं अतिथि देवो भवाह हमने केवल वाणी से कहा नहीं व्यवहार से सार्थक किया है पर दूसरी संस्कृतियों की कुछ बुराइयां दूरदर्शन केबल टीवी और आदि माध्यमों से हमारे समाज पर बुरा असर पड़ती है भ्रष्टाचार बेईमानी उच्च नीच का भेदभाव यह कुछ सदियों से विदेशी आक्रांता कि हम लोग से आई बीमारियां है नहीं तो हमार राजा विक्रमादित्य सम्राट चंद्रगुप्त अशोक महान आदि के शासनकाल तक इस प्रकार की बातें भारत में कभी सुनी भी नहीं गई जो जो देश का युवा वर्ग संस्कारवान प्रतिभाशाली घनिष्ठ दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अपने ज्ञान चक्षु को खोल सूर्य सदृश खड़ा होगा तो ही यह समाज बुराइयों के विषाणु जलकर नष्ट हो जाएंगे।



आज भारत पुना दुनिया का सिरमौर बनने की ओर अग्रसर है। पवित्र कैलाश मानसरोवर की प्रतिवर्ष हम श्रद्धा भाव से यात्रा करते हैं दक्षिण में विशाल हिंद महासागर जो भारत माता के चरण पकड़ता है उसकी कन्याकुमारी तट पर हम और हम उत्सव के साथ अर्चना करते हैं अंटार्कटिका पर हमारे वैज्ञानिक अनेकवर्षों से लगातार शोध कर रहे हैं। चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री हो आए हैं। मंगल ग्रह पर भारत को मंगलयान पहुंचा पहुंच चुका है। भूगर्भ से संबंधित खोजों में हमारे वैज्ञानिक जुटे हैं|

सेटेलाइट नाभिकीय परीक्षण कंप्यूटर हमारी उंगलियों पर नाचते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय इंजीनियरों का लोहा पूरी दुनिया ने माना है। भारतीय इंजीनियरों डॉक्टरों की हर एक देश में माघ है। व्यापार के क्षेत्र में भी दुनिया के चोटी के 50 उद्योगपतियों में अनेक भारतीय हैं आत्मक अध्यात्म योग व आयुर्वेद में तो भारत विश्व गुरु है हमारे जोगी आत्मज्ञान व योग की शिक्षा देकर उनके जीवन का कल्याण कर रहे हैं।
दूसरे की दुख में दुखी होना उनके गम की में शरीक होना यही भारतीयता है। दुनिया में कहीं भी कोई भी समस्या हो कोई प्राकृतिक आपदा आई हो भारत ने अपने समिति साधनों के होते हुए भरपूर मदद दी है।

पिछली शताब्दियों मैं हम पर अनेकों बार विदेशी आक्रांता ओं ने हमले किए। वर्तमान में भी बहुराष्ट्रीय कंपनियां आतंकवादी शक्तियां नक्सलवाद माओवादी शक्तियां इस भारत भूमि का खंडित करने का दुष्चक्र रच रहे हैं आधुनिकता के नाम पर हम पर लगातार सांस्कृतिक हमले हो रहे हैं परंतु इस सब के बावजूद भारत अपना मस्तक ऊंचा कर अधिक खड़ा है हम अपनी संप्रभुता को छोड़े रखे हुए हैं हमारे माने मनीषियों को शत ज्ञान की ताकत तथा कर्म योगियों का धैर्य व पुरुषार्थ के बल पर हम उन पलों को निष्फल कर हम भारत को पुनः विश्व का सिरमौर बनाने की ओर अग्रसर है मशहूर शायर इकबाल ने कहा था।

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ।
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा।।
यूनान मिस्र रोमा, सब मिट गए जहां से।
मगर अब तक है बाकी नामो निशा हमारा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें