हमारी राज्य व्यवस्था:-
संसद देश का सर्वोच्च विधायी निकाय है हमारी संसद राष्ट्रपति और दो सदनों लोकसभा(हाऊस आफ द पीपुल) और राज्य सभा (काउंसिल ऑफ स्टेट्स) से मिल कर बनती है।राष्ट्रपति के पास संसद के किसी भी सदस्य की बैठक बुलाने और सत्रावसान करने अथवा लोक सभा को भंग करने का अधिकार है।26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान प्रभावी हुआ है। वर्ष 1951 से 52 के दौरान नए संविधान के अंतर्गत पहला आम चुनाव हुआ। अप्रैल 1952 में प्रथम तथा 2014 में 16वीं लोकसभा गठित हुई।
लोक सभा:-
जनप्रतिनिधियों का निकाय है इसके सदस्यों का प्रत्यक्ष निर्वाचन मताधिकार संपन्न वयस्क लोगों द्वारा सम्मानित प्रत्येक 5 वर्षों में एक बार किया जाता है सदन की सदस्यता के लिए न्यूनतम आर्य आयु 25 वर्ष है। लोकसभा की वर्तमान सदस्य संख्या 545 है।
राज्यसभा सदन का उच्च सदन है। इसमें 254 सदस्य हैं। राज्यसभा के सदस्य लोगों का द्वारा सीधे निर्वाचित नहीं होते हैं बल्कि विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं। प्रत्येक राज्य को निश्चित सदस्य संख्या आवंटित की गई है सदन की सदस्यता के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष है।
राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के 12 सदस्य नाम निर्देशित किए जाते हैं जिन्हें साहित्य, विज्ञान,कला और सामाजिक सेवा के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यवहारिक अनुभव है।
राज्यसभा एक स्थाई सदन है। इसका विघटन नहीं होता है किंतु प्रत्येक 2 वर्ष में इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं राज्यसभा का 3 अप्रैल 1952 को प्रथम बार यथा विधि गठन हुआ।
राज्यसभा एक स्थाई सदन है। इसका विघटन नहीं होता है किंतु प्रत्येक 2 वर्ष में इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं राज्यसभा का 3 अप्रैल 1952 को प्रथम बार यथा विधि गठन हुआ।
पीठासीन अधिकारी:-
लोकसभा अपने सदस्यों में से एक सदस्य का चुनाव पीठासीन अधिकारी के रूप में करती हैं उसे अध्यक्ष कहा जाता है उसकी सहायता के लिए उपाध्यक्ष होता है जिसका चुनाव भी लोकसभा द्वारा किया जाता है। लोकसभा के कार्य संचालन का उत्तरदायित्व अध्यक्ष का होता है।
भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है उसका निर्वाचन एक निर्वाचन मंडल द्वारा किया जाता है जो संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनता है।राज्यसभा भी अपने सदस्यों में से एक सदस्य का चुनाव उप सभापति के रूप में करती है।लोकसभा और राज्यसभा के कार्य:-
दोनों सदनों का मुख्य कार्य विधान पारित करना है किसी भी विधेयक के विधान बनने के पूरे इसे दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना होता है तथा राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त करनी होती है। संसद भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची के अंतर्गत उल्लिखित विषयों पर विधान बना सकता है मोटे तौर पर संघ विषय में जैसे महत्वपूर्ण विषय है जिसका प्रशासन सुविधा कार्य कुशलता तथा सुरक्षा कारणों से अखिल भारतीय आधार पर किया जाता है मुख्य संग विषय है रक्षा, विदेश, रेलवे परिवहन, संचार, करेंसी तथा सिक्का ढलाई, बैंकिंग, सीमा शुल्क तथा उत्पाद शुल्क ऐसे अनेक विषय है जिन पर संसद तथा राज्य विधान मंडल विधान बना सकते है।
इस श्रेणी के अंतर्गत आर्थिक तथा सामाजिक योजना सामाजिक सुरक्षा तथा बीमा श्रम कल्याण मूल्य नियंत्रण तथा महत्वपूर्ण सांख्यिकी का उल्लेख किया जा सकता है।
विधान पाठ करने के अतिरिक्त संसद संकल्प स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा तथा सदस्यों द्वारा मंत्रियों को संबोधित प्रश्नों के माध्यम से देश के प्रशासन पर नियंत्रण रख सकती है तथा लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा कर सकती है।
विधान पाठ करने के अतिरिक्त संसद संकल्प स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा तथा सदस्यों द्वारा मंत्रियों को संबोधित प्रश्नों के माध्यम से देश के प्रशासन पर नियंत्रण रख सकती है तथा लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा कर सकती है।
General knowledge
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